Rahasya - 1 in Hindi Motivational Stories by अमिता वात्य books and stories PDF | रहस्य - 1

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रहस्य - 1

छोटी थी तब मां मुझे खिलौने देकर बैठा दिया करती थी और खुद को दूसरे कमरे मे बंद करके जाने क्या बजाती थी , पर वो जो भी था मेरे जैसी नटखट और शैतान बच्ची को शांत कर देती थी , पर उसकी धुन समझ मे नही आती थी , कि मां ऐसे डर कर छुप कर उसे बजाती है ।
अपने कपडों की आलमारी मे पुराने कपडों की तह के बीच मे छुपा कर रखती थी , कभी कभी खेल मे मै उसे निकाल लेती थी , तो मानो मां की जान ही निकल जाती थी ।
वो पसीने सै तर बतर हो जाती और मुझे अपने सीने से चिपका लेती , मै भी डर जाती थी , जब मुस्कुरा कर उन्हें वापस करती ओ मेरे गाल पर पुचकार कर और जोर से कस लेती थी , मै 10 साल की हो गई लेकिन ये राज था कि खुलने का नाम ही नही ले रहा था ,पापा से मेरी बात पैरेंट्स मीटिंग या स्पोर्ट्स के आस पास ही होती थी , पापा मुझे कभी कही धुमाने नही ले गये, कभी अपनी गोद मे बिठाकर नही खिलाते थे , और ना कभी मेरा ही खेलते थे , ये दूसरा राज था मेरे जीवन का । मां से पापा बर्ताव एक नौकरानी से भी बदतर था ।
मां एक रोबोट की भाँति उनके हुक्म मानती थी पर फिर भी गलती कर डालती , ये रसोई के छोटे छोटे डिब्बे पीछे क्यो रखे है ? ,बर्तन स्टैड मे क्यो नही रखा अगर एक दो रह जाते तो , जब सारे कपडे इस्त्री किये तो ये सफेद शर्ट क्यो नही किया ? मुझे आज यही पहनना था , ये कंधी मे एक बाल क्यो है ? ये सब बाद मे कहा जाता उसके पहले मां के गालो पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ पडता जो मेरे दिल को भेद डालता ।
जब तक पापा घर मे रहते, मां एक जिंदा लाश की तरह रहती , अगर साँस ना ले रही होती तो उसकी गिनती मुर्दों मे ही होती , पापा के जाने के बाद वो धम्म से वो सोफे या बिस्तर पर ढह जाती , मुझे सहलाती मुँह पर पानी के छीटें मारती , मानो उस उदासी , भय , और डर को चेहरे से धो डालना चाहती हो ।
फिर एक दिन पहला राज खुला , मै करीब 15/16 की रही होऊगी , पापा शायद कुछ नरम पडने लगे थे ,सालों बाद उन्हें मां के कमरे मे देखा , पर माँ क्यो पहले की तरह घबराई हुई लग रहा थी !
पापा ने पूरे कमरे का मुआयना किया , झटके से आलमारी खोली , माँ गत खाते खाते बची ,कपडो का ढेर उठा कर फेका , वो भी गिरी माँ की बाँसुरी । हा माँ बाँसुरी बजाती थी या यूँ कहू उसे जीती थी ।
पापा आजतक के सबसे रौद्र रुप मे थे , माँ भय मिश्रित हैरानी से पापा को देख रही थी ।उसे समझ मे नही आ रहा था कि इस राज पर से पर्दा कैसे उठा , पापा ने थकने तक माँ को पीटा । मै 15 साल की कमजोर कुछ ना कर सकी पर रात भर माँ सुबकती रही और मै पापा को जान से मारना के मंसूबे बनाने लगी , कि माँ और मुझ पर आज ना आये ।
तभी गुस्से मे पापा की कही बात अचानक दिमाग
क्रमशः.......